सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...
आज के इस लेख के माध्यम से आपको ज्ञान होगा कि पितृपक्ष में पुत्र द्वारा किए गए श्राद्ध से पितरों को प्रसन्न का क्यों होती है? पुत्र के द्वारा श्राद्ध किए जाने से क्या लाभ है? पुत्र द्वारा ही श्राद्ध आधुनिक समय में लिंग भेद को नहीं माना जाता और हमारा भी यही मानना है कि पुत्र या पुत्री में कोई फर्क नहीं होता। पुत्र और पुत्री समान रूप से अपने परिवार और समाज के प्रेम के अधिकारी होते हैं। जिस प्रकार माता-पिता का संबंध उनके पुत्र से होता है ठीक उसी प्रकार पुत्री से भी प्रेमपूर्ण सम्बन्ध होता है। संतान के विषय में लड़का और लड़की का कोई भेद नहीं होता और न ही होना चाहिए। फिर भी हमारे सनातन धर्म में हमारे शाश्त्र और वेद इस बात का प्रमाण देते है की पित्र पक्ष में श्राद्ध कर्म करने का पहला अधिकारी पुत्र ही होता है। इस्त्री में सेहेनशीलता का गन होता है तो पुरुष में बड़े से बड़े दुःख को सेहेन करने की अपार शक्ति होती है। यही कारण का की स्त्रियो का शमशान जाना भी वर्जित होता है। ईश्वर ने जो भी नियम बनाये उन सभी नियमो को शास्त्रों में समाहित कर दिया जिससे मनुष्य शास्त्रोक...