माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी व्रत कथा माहात्म्य सहित

एकादशी व्रत कथा ब्लॉग एकादशी और कई पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से बताता है। यह ब्लॉग सनातन धर्म से जुड़े हर रहस्य को उजागर करने में सक्षम है। एकादशी ब्लॉग के माध्यम से हम आप सभी तक पूरे वर्ष में पड़ने वाली सभी 26 एकादशी की कथा को विस्तार से लेकर आए है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को सनातन धर्म से जुड़ने का एक अवसर प्राप्त होने जा रहा है।
नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी के समक्ष नरसिंह कवच की महिमा को दर्शाएंगे। हम सभी ने कभी ना कभी नरसिंह कवच का नाम अवश्य सुना होगा परंतु नरसिंह कवच की महिमा उसके उच्चारण और उसके विषय में हम में से बहुत कम लोगों को ज्ञान है। चलिए शुरू करते हैं बोलिए भगवान नरसिंह की जय।
आप सभी को बताते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि भगवान नरसिंह भगवान विष्णु के ही अवतारों में से एक अवतार हैं। भगवान विष्णु ने भगवान नरसिंह का अवतार कब धारण किया इसके लिए आप सभी को भक्त प्रहलाद की कथा को याद करना होगा।
भक्त पहलाद जिसके पिता एक राक्षस थे। इनका नाम का हिरण कश्यप। हिरण कश्यप भगवान विष्णु से बैर रखता था परंतु भगवान की कृपा के कारण हिरण कश्यप के पुत्र के रूप में स्वयं भगवान के भक्त ने जन्म लिया जिनका नाम आगे चलकर प्रहलाद रक्खा गया। प्रहलाद भगवान को अति प्रिय थे क्योंकि प्रह्लाद भी श्री हरी को अपना सर्वस्व मानते थे और सदैव श्री हरि का नाम का जाप किया करते थे। इसीलिए भगवान श्री हरि के भक्तों में प्रहलाद का नाम सर्वोपरि आता है और उन्हें भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है।
प्रहलाद के पिता महाराज हिरणकश्यप ने अनेकों बार प्रह्लाद के प्राणों को हरने का प्रयास किया क्योंकि प्रहलाद सदैव श्री हरि के नाम का जाप किया करते थे और उनके पिता हिरण कश्यप चाहते थे कि प्रहलाद श्री हरि के नाम का जाप छोड़कर स्वयं अपने पिता के नाम का जाप करें परंतु पहलाद ने अपने पिता की एक न सुनी और वो बार बार कहते रहे कि संसार के कण कण में व्याप्त अगर कोई है तो केवल और केवल श्री हरी ही है और श्री हरी के अतिरिक्त और कोई भी संसार के कण-कण में व्याप्त नहीं वही। श्री हरी ही आदि हैं और वही अनंत हैं।
उनकी इन बातों से क्रुद्ध होकर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को अनेको बार मारने का प्रयास किया परंतु प्रत्येक बार उनके हर प्रयास को श्रीमन्नारायण विफल कर देते। अन्तोगत्व भगवान् श्री हरी ने अपने भक्त के आवाहन पर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा हेतु हिरण कश्यप के महल के खंभे में से अपने नरसिंह स्वरूप को प्रकट किया। नरसिंह भगवान ने अपने भक्त प्रहलाद के प्राणों की रक्षा के लिए उसके पिता हिरण कश्यप को अपने नाखूनों से मारकर उस दुष्ट आत्मा का अंत किया और अपने भक्त के प्राण की रक्षा की।
भगवान के दर्शनों के बाद उनके स्नेह को प्राप्त करके भक्त प्रहलाद अति प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान की स्तुति करना प्रारंभ की। भक्त प्रहलाद ने भगवान नरसिंह की जो स्तुति की उसी स्तुति को आज हम सब नरसिंह कवच के रूप में जानते हैं।यह कवच अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इस स्तुति को करने से साधक जादू-टोना, भूत-पिशाच आदि के प्रभावों से मुक्त रहता है। नरसिंह कवच अत्यंत प्रभावशाली है। यह कवच अत्यंत चमत्कारी प्रभाव से ओतप्रोत है। जो साधक प्रतिदिन नरसिंह कवच का जाप करता है उसकी समस्त भौतिक इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और उसे भगवान का सानिध्य प्राप्त होता है।
भक्त प्रहलाद द्वारा निर्मित नरसिंह कवच साधक के आध्यात्मिक उन्नति करता है। उसे भय से मुक्त करके उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। भगवान नरसिंह को समर्पित यह कवच साधक को शक्तिशाली बनाता है। प्रतिदिन साधक द्वारा नरसिंह कवच का जाप करने से उसकी कुंडली में उसके कर्मों के द्वारा जो बुरे योग बनते हैं, विभिन्न ग्रहों की बुरी दिशाओं के कारण जो कठिनाई साधक हो रही होती है, यह कवच साधक को ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्त करने में उसकी मदद करता है।
#नरसिंह कवच परम पवित्र माना जाता है क्योंकि यह अपने आप में स्वयं नारायण स्वरूप ही माना जाता है। समस्त बुरी बाधाओं का संपूर्ण रूप से विनाश करने में यह कवच सर्व सिद्ध सर्वमान्य है। नियमित रूप से इसका जाप करने से साधक सकारात्मक विचारों की ओर अग्रसर होता है। नकारात्मक विचारो से उसका पीछा छूट जाता है। साधक को भूत-प्रेत, पिशाच-निशाचर, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र आदि हानिकारक प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है। आप सब को ज्ञात होना चाहिए की नर्सिंग कवच का वर्णन ब्रह्मानंद पुराण मिलता है। भगवन नारायण के नरसिंह अवतार में उनकी स्तुति के लिए भक्त प्रह्लाद ने इस कवच की रचना की थी।
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