Posts

Showing posts from December, 2021

माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी व्रत कथा माहात्म्य सहित

Image
॥ अथ जया एकादशी माहात्म्य ॥ धर्मराज युधिष्ठिर बोले-हे भगवान! आपने माघ माह की कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया है। अब कृपा कर माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की कथा का वर्णन कीजिये। इस एकादशी का नाम, विधि और देवता क्या और कौन सा है? श्रीकृष्ण भगवान बोले-हे राजन! माघ माह की शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम जया है। इस एकादशी व्रत से मनुष्य ब्रह्महत्या के पाप से छूट जाते हैं और अन्त में उनको स्वर्ग प्राप्ति होती है। इस व्रत से मनुष्य कुयोनि अर्थात भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनि से छूट जाता है। अतः इस एकादशी के व्रत को विधि पूर्वक करना चाहिये। हे राजन! मैं एक पौराणिक कथा कहता हूँ। जया एकादशी व्रत कथा एक समय की बात है जब देवराज इंद्र स्वर्गलोक में अन्य देवताओं के साथ गायन और नृत्य का आनंद ले रहे थे। उस सभा में गंदर्भो में प्रसिद्ध पुष्पवन्त नाम का गंदर्भ अपनी पुत्री के साथ उपस्थित था।  देवराज इंद्र की सभा में चित्रसेन की पत्नी मलिन अपने पुत्र के साथ जिसका नाम पुष्पवान था और पुष्पवान भी अपने लड़के माल्यवान के साथ उपस्थित थे। उस समय गंधर्भो में सुंदरता से भी सुन्दरतम स्त्री जि

उनचास मरुत का क्या अर्थ है ? | वायु कितने प्रकार की होती है?

Image
Unchaas Marut | उनचास मरुत तुलसीदास ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है - हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास। अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।25।। अर्थात : जब हनुमान जी ने लंका को अग्नि के हवाले कर दिया तो  तब परमेश्वर की इच्छा से समस्त 49 मरुत हवाएं अपने चरम पर चलने लगी, जिस कारण लंका धू-धू करके जलने लगी।  हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश से जा लगे। 49 प्रकार की वायु के बारे में जानकारी और अध्ययन करने पर सनातन धर्म पर अत्यंत गर्व हुआ। तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य हुआ, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वेदों में वायु की 7 शाखाओं के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है।  ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि हवा अर्थात वायु कितने प्रकार की होती है?  वह एक आम इंसान की भांति अपनी छोटी सी बुद्धि के कारण केवल इतना ही समझते हैं कि जल में चलने वाली वायु, आकाश में चलने वाली वायु, पृत्वी पर चलने वाली वायु, सब एक ही है परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि हमारे वेदों में साफतौर पर आका

श्रीराम ने राम सेतु क्यों तोड़ा था ?

Image
श्री राम ने सेतु क्यों तोड़ दिया ? वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट रूप से उल्लेख मिलता है की देवी सीता का पता लगने के पश्चात जब भगवान श्री राम समुद्र पर सेतु बांधने को उद्यत हुए तब समस्त वानर और भालुओ ने राम सेतु का निर्माण करने में भगवान श्री रामचंद्र की सहायता की और देखते ही देखते लंका तक एक सेतु का निर्माण कर दिया।  लेकिन जब श्रीराम विभीषण से मिलने दोबारा लंका गए, तब उन्होंने रामसेतु का एक हिस्सा स्वयं ही तोड़ दिया था। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। रामसेतु स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से थोड़ा और उन्होंने रामसेतु को किन परिस्थितियों में थोड़ा इन समस्त बातों की जानकारी सृष्टि खंड की एक कथा में  मिलती है। पद्म पुराण के अनुसार, अपने वनवास को पूर्ण करने के पश्चात भगवान श्री राम जब अयोध्या में राज कर रहे थे तब एक दिन अचानक उन्हें रावण के छोटे भाई विभीषण की याद आई और उनके हृदय में विभीषण को लेकर यह चिंता उत्पन्न हुई कि रावण के मरने के बाद विभीषण किस तरह लंका का राज्य संभाल रहे होंगे। विभीषण सकुशल तो होगा? उसे कोई चिंता या परेशानी तो नहीं हो रही होगी लंका का राज्य संभालने में? जब भगवान श्