सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...
सत्य का दर्शन हम सभी ने सदगुरुदेव Swami Parmanand Ji Maharaj के आशीर्वचनो में किया है। गुरुदेव ने वेदांत व्याख्या के माध्यम से हम सभी को सत्य के दर्शन कराने का प्रयास किया है। हम सभी लोग जब किसी से वार्तालाप करते हैं तो किसी न किसी बात पर सत्य और असत्य अवश्य बोलते हैं। हम उसी को सत्य मान लेते है जो दिखता है परन्तु सत्य वो होता है जो दिखता ही नहीं। असत्य को सत्य समझने की भूल आज सारी मानव जाती कर रही है। जब हम कोई सत्कर्म करते है तब आपके मन में उनके प्रति कोई प्रश्न उत्पन्न नहीं होता की क्या आपने जो किया वह सही था या गलत। जैसे मंदिर के यदि दानपात्र में ₹1 डाला जाए तो उस एक रुपए के प्रति किसी के मन में कभी कोई शंका उत्पन्न नहीं होगी की ₹1 मंदिर के दानपात्र में डालकर हम ने सही किया या गलत। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारी अंतरात्मा जानती है कि हमने इस एक रुपए को किसी धर्म स्वरूप कार्य में लगाया है इसलिए हमारे मन में कोई प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है। जब प्राणी कोई गलत कर्म करता है तो जीवात्मा स्वरुप परमेश्वर हमे सचेत क...