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Showing posts from May, 2020

माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी व्रत कथा माहात्म्य सहित

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॥ अथ जया एकादशी माहात्म्य ॥ धर्मराज युधिष्ठिर बोले-हे भगवान! आपने माघ माह की कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का अत्यन्त सुन्दर वर्णन किया है। अब कृपा कर माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी की कथा का वर्णन कीजिये। इस एकादशी का नाम, विधि और देवता क्या और कौन सा है? श्रीकृष्ण भगवान बोले-हे राजन! माघ माह की शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम जया है। इस एकादशी व्रत से मनुष्य ब्रह्महत्या के पाप से छूट जाते हैं और अन्त में उनको स्वर्ग प्राप्ति होती है। इस व्रत से मनुष्य कुयोनि अर्थात भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनि से छूट जाता है। अतः इस एकादशी के व्रत को विधि पूर्वक करना चाहिये। हे राजन! मैं एक पौराणिक कथा कहता हूँ। जया एकादशी व्रत कथा एक समय की बात है जब देवराज इंद्र स्वर्गलोक में अन्य देवताओं के साथ गायन और नृत्य का आनंद ले रहे थे। उस सभा में गंदर्भो में प्रसिद्ध पुष्पवन्त नाम का गंदर्भ अपनी पुत्री के साथ उपस्थित था।  देवराज इंद्र की सभा में चित्रसेन की पत्नी मलिन अपने पुत्र के साथ जिसका नाम पुष्पवान था और पुष्पवान भी अपने लड़के माल्यवान के साथ उपस्थित थे। उस समय गंधर्भो में सुंदरता से भी सुन्दरतम स्त्री जि

आनंद पर सबका अधिकार - स्वामी परमानंद जी महाराज | Anand par sabka adhikar -Swami Parmanand Ji Maharaj

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संसार के प्रत्येक प्राणी को आनंद में रहने का पूर्ण अधिकार है तो सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि आनंद में कोई भी प्राणी किस प्रकार रह सकता है ?क्योंकि हर प्राणी के हृदय में हर समय किसी ना किसी बात की चिंता , उद्योग,विकार जन्म लिए रहते हैं और इन्हीं समस्याओं में उलझा हुआ इंसान कभी अपने आप को आनंद प्रदान नहीं कर पाता।  आनंद पर सबका अधिकार - स्वामी परमानंद जी महाराज Swami Parmanand Ji Maharaj  अपने वेदांत प्रवचनों में हमे बताते है की हमारे सनातन धर्म में हमारे ऋषि-मुनियों ने परमानंद को प्राप्त करने के लिए जो साधन बताया वह अत्यंत ही सहज और सुलभ है। संसार का कोई भी प्राणी जो परम आनंद की प्राप्ति करना चाहता है, जो सदा रहने वाले आनंद को प्राप्त करना चाहता है उसे संसार के किसी भी वस्तु से लगाव नहीं रखना चाहिए अर्थात वह संसार में रहे परंतु उसमें लिप्त ना हो। संसार में रहते हुए भी सन्यासी की तरह अपने जीवन को जिए।  हम सब का सुख और दुःख स्वयं हमारे ही हाथ होता है। कोई दूसरा हमे कभी कोई सुख या दुःख नहीं दे सकता क्योकि किसी में छमता ही नहीं है की कोई किसिस को सुख ा दुःख दे सके।  जरा सोचिये