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Tulsi Mala: तुलसी की माला किस दिन पहने? तुलसी की माला कब नही पहनी चाहिए?

Tulsi Mala: तुलसी की माला किस दिन पहने? तुलसी की माला कब नही पहनी चाहिए?  तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं अपितु सनातन धर्म में तुलसी को देवी अर्थात माता का स्थान प्रदान किया गया है। तुलसी के महत्व की बात करें तो बिन तुलसी के भगवान भोग भी स्वीकार नहीं करते, ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा है। तुलसी माला का आध्यात्मिक महत्व हिंदू और बौद्ध परंपराओं में गहराई से निहित है। यहाँ कुछ प्रमुख पहलू हैं: देवताओं से संबंध भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण: तुलसी को हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है, जो अक्सर भगवान विष्णु और उनके अवतारों से जुड़ा होता है, जिसमें भगवान कृष्ण भी शामिल हैं। माना जाता है कि तुलसी माला पहनने के लिए उनके आशीर्वाद और सुरक्षा को आकर्षित करने के लिए माना जाता है। पवित्रता और भक्ति का प्रतीक शुद्धता: तुलसी संयंत्र अपनी पवित्रता के लिए श्रद्धा है। तुलसी माला पहनने से विचारों, शब्दों और कार्यों में पवित्रता बनाए रखने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। भक्ति: यह आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति समर्पण और समर्पण का एक निशान है। भक्तों ने मंत्रों और प्रार्थनाओं का जप करने के लिए...

Vishnu Shodasa Nama Stotram With Hindi Lyrics

विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् की उत्पत्ति 

विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् भगवान विष्णु को समर्पित एक महामंत्र के रूप में जाना जाता है। सनातन धर्म में त्रिदेवो में भगवान श्री हरि विष्णु अर्थात भगवान नारायण एक विशेष स्थान रखते हैं। सभी प्राणियों को उनके कष्टों से मुक्ति पाने के लिए, उनकी इच्छाओ की पूर्ति के लिए भगवान विष्णु को समर्पित विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् का  प्रतिदिन पाठ करना चाहिए। 

विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् भगवान् श्री हरी के 16 नमो को मिलकर बनाया गया एक महामंत्र है जिकी शक्ति अतुलनीय है। जो साधक प्रतिदिन स्तोत्र का जाप करता है, भगवान श्री विष्णु उस साधक के चारों तरफ अपना सुरक्षा कवच बना देते हैं। उस सुरक्षा कवच के कारण साधक के भोजन से उसकी औषधियां तक भगवान की कृपा से ओतप्रोत हो जाती है और साधक भगवान के संरक्षण को प्राप्त करता है। अतः विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम को साधक को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ जपना चाहिए क्योंकि नियमित रूप से साधक द्वारा पाठ करने से साधक के समस्त रोगो का नाश हो जाता है और साधक दीर्घायु को प्राप्त करता है। 

Vishnu Shodasa Nama Stotram 

औषधे चिन्तयेद्विष्णुं भोजने च जनार्दनम् | 
शयने पद्मनाभं च विवाहे च प्रजापतिम् ॥
युद्धे चक्रधरं देवं प्रवासे च त्रिविक्रमम् | 
नारायणं तनुत्यागे श्रीधरं प्रियसंगमे ॥
दुः स्वप्ने स्मर गोविन्दं संकटे मधुसूदनम् | 
कानने नारसिंहं च पावके जलशायिनम् ॥
जलमध्ये वाराहं च पर्वते रघुनन्दनम् |
 गमने वामनं चैव सर्वकार्येषु माधवम् ॥
षोडशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय यः पठेत् | 
सर्वपापविनिर्मुक्तो विष्णुलोके महीयते ॥

Vishnu Shodasa Nama Stotram With Hindi Lyrics 

विष्णु षोडश स्तोत्रम् की महिमा पुराणों में वर्णित है।  इस स्तोत्र के पाठ से अतुलनीय कृपा की प्राप्ति होती है. भगवान् विष्णु के 16 नाम अद्भुत शक्ति के प्रदाता है और गृह दोषो से साधक को मुक्ति प्रदान करने में सक्षम है। 
अर्थ :-
औषधि लेते समय श्रीविष्णु (जो सृष्टि के पालनहार है) का स्मरण करें, 
भोजन करते समय जनार्दन (प्राणियों के दुखो को हरने वाले श्रीकृष्ण) का स्मरण करें ।
सोते समय पद्मनाभ (जिनकी नाभि से कमल का फूल निकला हुवा है) का स्मरण करें, 
विवाह के समय प्रजापति (सृष्टि उत्पन्न करता के रूप में) उनका स्मरण करें।
युद्ध के समय सुदर्शन चक्रधारी देवता (अर्थात श्रीविष्णु/श्रीकृष्ण के रूप ) में स्मरण करें, 
प्रवास (यात्रा) में त्रिविक्रम के रूप में (तीन कदमों से सारे विश्र्व को अतिक्रमण करने वाले) का स्मरण करें ।
मृत्यु के समय भगवान् श्री नारायण (जल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान है) के रूप में उनका स्मरण करें, 
पतिपत्नी के समागम पर श्रीधर (श्री को धारण करने वाले अर्थात देवी लक्ष्मी के पति) का स्मरण करें ।
बुरे स्वप्न आते हों तो गोविंद (गोशाला या गौओं के अधिपति - श्रीकृष्ण) का स्मरण करें, 
संकट में मधुसूदन (मधु नामक दैत्य को प्राणमुक्त करने वाले, श्रीकृष्ण) का स्मरण करें ।
जंगल में संकट के समय भगवान् नृसिंह (श्रीविष्णु का अवतार, जिनका आधा शरीर मनुष्य का और आधा सिंह का था) का स्मरण करें, 
अग्नि संकट के समय जलाशयी देवता के रूप में (जिनका निवास जल में है ) का स्मरण करें ।
पानी में डूबने का भय हो तो वराह (श्रीविष्णु के सूअर का अवतार) का स्मरण करें, 
पर्वत पर संकट के समय रघुनंदन (श्रीविष्णु को श्री राम के रूप ) में स्मरण करें ।
गमन करते समय वामन अवतार (श्रीविष्णु का बौना अवतार) का स्मरण करें, कोई भी कार्य करते समय माधव के रूप में अर्थात (शहद के समान मीठा) का स्मरण करें ।
जो प्रतिदिन भोर (सूर्योदय से पहले) के समय भगवान विष्णु के इन सोलह पवित्र नामों का पाठ करता है,
वह अपने सभी पापों से मुक्त हो जाएगा और उसके शरीर त्यागते समय, उसे वैकुंठ लोक (सर्वोच्च लोक) की प्राप्ति होगी।

विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् का महत्व 

भगवान् विष्णु को समर्पित विष्णु षोडश नाम स्तोत्रम् का माहात्म्य इस बात से ज्ञात होता है की इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से साधक के जप काल से लेकर उसके जीवन के आखरी पल तक अर्थात उसकी मृत्यु शैया और उसके परलोक गमन के मार्ग को सुलभ बनाकर भगवान् की शरणागति को प्रदान करने में ये स्तोत्र अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करता है। 

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