सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...
देवरहा बाबा का जन्म स्थान आज हम आप सभी के समक्ष एक ऐसे संत की जीवनी लेकर आए हैं जो अपने आप में एक चमत्कारी व्यक्तित्व के स्वामी थे। जिनके जन्म के विषय में किसी को भी संपूर्ण ज्ञान नहीं कि उनका जन्म कब कहां और किस अवस्था में हुआ था। उनके विषय में जो कथाएं प्रचलित हैं, जो साधारण जनमानस जानता है, वह यह है कि उनका जन्म भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया जिले में हुआ था। क्या देवरहा बाबा की आयु 250 वर्ष थी? | क्या देवरहा बाबा की आयु 500 वर्ष थी? | क्या देवरहा बाबा की आयु 900 वर्ष थी? मुख्य रूप से देवरहा बाबा देवरिया में रहने के कारण प्रसिद्ध हुए और देवरिया में इस महान संत की उत्पत्ति के कारण ही इनका नाम देवरहा बाबा हुआ। विभिन्न संतो के विचारों के अनुसार उन पर लिखित किताबों के अनुसार यह बात स्पष्ट होती है कि देवरहा बाबा अपने संपूर्ण जीवन में एक लंबी आयु प्राप्त करने के पश्चात ही उन्होंने अपने शरीर का त्याग किया। कोई उनकी आयु 200 साल के लगभग बताता है, तो कोई संत उनकी आयु 500 साल, तो कोई 900 साल भी बताते हैं परंतु उनके जन्म के विषय में किसी ...