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सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

नवरात्रि षष्टम दिवस माता कात्यायिनी पूजन | नव दुर्गा का छठा स्वरूप माता कात्यायिनी

Navratri Sixth Day Pujan Mata Katyayini  नमस्कार दोस्तों, नवरात्र के षष्टम दिवस अर्थात छठे दिन माता आदिशक्ति के जिस स्वरूप कि हम पूजा करते हैं उसे हम सभी माता कात्यायिनी के नाम से जानते हैं। माता कात्यायिनी को ही सारा संसार बे माता के नाम से जानता है।  माता कात्यायिनी के जन्म के विषय में जो कथा प्रचलित है उसके अनुसार महर्षि कात्यायन ने घोर तपस्या करके माता आदिशक्ति को प्रसन्न किया कि वे उनके घर पुत्री रूप में जन्म लें तब माता ने प्रकट होकर महर्षि कात्यायन की पुकार सुनी और उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह महर्षि कात्यायन के घर में पुत्री रत्न के रूप में उत्पन्न होंगी। इसलिए महर्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायिनी  पड़ा।  माता कात्यायिनी को शहद अत्यंत प्रिय है। इसलिए भक्तगण माता कात्यायिनी की प्रसन्नता के लिए अलग-अलग स्वरूपों में माता को शहद का भोग लगाते हैं। माता कात्यायिनी को ही महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है।  जब महिषासुर के अत्याचारों से पीड़ित होकर समस्त देवता यहां-वहां भटक रहे थे तब उन देवताओं की पुकार ...