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सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

देवी अर्गला स्तोत्र महात्म सहित | आदिशक्ति अर्गला स्तोत्र

|| देवी अर्गला स्तोत्रम्  महात्म्यं || || Argala Stotram Mahatma|| देवी अर्गला स्तोत्रम का पाठ माता आदिशक्ति अर्थात माता दुर्गा को समर्पित है। खास तौर पर नवरात्रि के दिनों में देवी अर्गला स्तोत्र का पाठ दुर्गा कवच के साथ किया जाता है। नवरात्रि के अलावा विशेष पर्व में या दुर्गा पूजन के समय भी देवी अर्गला स्तोत्र का पाठ किया जाता है जो कि मंगल दायक हो शुभ कारक सिद्ध होता है।  देवी अर्गला स्तोत्र का पाठ करके साधक देवी को प्रसन्न करने की क्षमतावां हो जाते हैं और देवी की अनुकंपा प्राप्त कर लेते हैं। देवी को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल अर्गला स्तोत्र सुप्रसिद्ध है। यह देवी महात्मा के अंतर्गत किया जाना वाला अत्यंत प्रभावकारी स्तोत्र पाठ कहलाता है।  अर्गला स्तोत्रम ॐ अस्यश्री अर्गला स्तोत्र मंत्रस्य विष्णुः ऋषिः। अनुष्टुप्छंदः। श्री महालक्षीर्देवता। मंत्रोदिता देव्योबीजं। नवार्णो मंत्र शक्तिः। श्री सप्तशती मंत्रस्तत्वं श्री जगदंदा प्रीत्यर्थे सप्तशती पठां गत्वेन जपे विनियोगः॥ ध्यानं ॐ बंधूक कुसुमाभासां पंचमुंडाधिवासिनीं। स्फुरच्चंद्रकलारत्न मुकुटां मुंडमालिनीं॥ त्रिनेत्रां रक्त ...

वरूथिनी एकादशी की दुर्लभ कथा | बरूथिनी एकादशी महात्म कथा | बरूथिनी एकादशी व्रत कथा

॥ अथ बरूथिनी एकादशी महात्म  ॥ ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः  प्रिय भक्तों आज हम आप सभी के समक्ष वरुथिनी एकादशी के महात्म कथा को लेकर आए हैं।  वरुथिनी एकादशी सर्वप्रथम किसने किससे कहीं और इसकी कथा सुनने का क्या लाभ होता है, इस व्रत को करने से कौन-कौन से पुण्य लाभ प्राप्त होते हैं,  इन समस्त बातों का विवरण आज हम आप सभी के समक्ष यहां विस्तार पूर्वक रखेंगे।  आप सभी से मेरी प्रार्थना है कि आप सभी अपने ध्यान को एकाग्र करके भगवान श्री हरि की इस परम पावन एकादशी कथा का श्रवण करें और अपने परलोक  को सुधारें तथा अपने कुल का कल्याण करें। वरूथिनी एकादशी की दुर्लभ कथा धर्मराज युधिष्ठिर बोले- हे भगवान वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उसके व्रत की विधि क्या है और उसको करने से कौन-कौन से फल की प्राप्ति होती हैं सो कृपापूर्वक कहिये। श्रीकृष्ण भगवान बोले-हे राजेश्वर! वैशाख कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम बरूथिनी एकादशी है। यह एकादशी सौभाग्य को देने वाली है। इसके व्रत से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती...

पापमोचनी एकादशी महात्म्य कथा | पापमोचनी एकादशी महात्म्य | Papmochani Ekadashi Vrat Katha

॥ अथ पापमोचनी एकादशी माहात्म्य ॥ धर्मराज युधिष्ठिर बोले- हे भगवान! मैंने फाल्गुन माह की शुक्लपक्ष की एकादशी का माहात्म्य सुना अब आप चैत्र माह के कृष्णपक्ष की एकादशी के बारे में बतलाइये। इस एकादशी का नाम, इसमें कौन से देवता की पूजा की जाती है तथा विधि क्या है? सो सब सविस्तार पूर्वक कहिये । श्री कृष्ण भगवान बोले -हे राजन! एक समय मान्धाता ने लोमश ऋषि से ऐसा ही प्रश्न पूछा था तब लोमश ऋषि ने उत्तर दिया हे राजन! चैत्र माह के कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम पापमोचनी है। इसके व्रत के प्रभाव से मनुष्यों के अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं। इसकी कथा इस प्रकार है। प्राचीन समय में एक चैत्ररथ वन में अप्सरायें वास करती थीं। वहां हर समय बसन्त रहता था। उस वन में एक मेधावी नामक मुनि तपस्या करते थे। वे शिव भक्त थे। एक दिन मंजुघोषा नामक एक अप्सरा उनको मोहित करने के लिए सितार बजाकर मधुर २ गाने गाने लगी। उस समय शिव के शत्रु अनंग (कामदेव) भी शिव भक्त मेधावी मुनि को जीतने के लिए तैयार हुए। कामदेव ने उस सुन्दर के भ्रू को धनुष बनाया। कटाक्ष को उसकी प्रत्यंचा (डोरी बनाई) उसके नेत्रों को उसने संकेत बनाया और कुचों को कुरी ब...

उनचास मरुत का क्या अर्थ है ? | वायु कितने प्रकार की होती है?

Unchaas Marut | उनचास मरुत तुलसीदास ने सुन्दर कांड में, जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी, उस प्रसंग पर लिखा है - हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास। अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।25।। अर्थात : जब हनुमान जी ने लंका को अग्नि के हवाले कर दिया तो  तब परमेश्वर की इच्छा से समस्त 49 मरुत हवाएं अपने चरम पर चलने लगी, जिस कारण लंका धू-धू करके जलने लगी।  हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश से जा लगे। 49 प्रकार की वायु के बारे में जानकारी और अध्ययन करने पर सनातन धर्म पर अत्यंत गर्व हुआ। तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य हुआ, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वेदों में वायु की 7 शाखाओं के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है।  ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि हवा अर्थात वायु कितने प्रकार की होती है?  वह एक आम इंसान की भांति अपनी छोटी सी बुद्धि के कारण केवल इतना ही समझते हैं कि जल में चलने वाली वायु, आकाश में चलने वाली वायु, पृत्वी पर चलने वाली वायु, सब एक ही है परंतु ऐसा नहीं होता क्योंकि हमारे वेदो...

श्रीराम ने राम सेतु क्यों तोड़ा था ?

श्री राम ने सेतु क्यों तोड़ दिया ? वाल्मीकि रामायण में स्पष्ट रूप से उल्लेख मिलता है की देवी सीता का पता लगने के पश्चात जब भगवान श्री राम समुद्र पर सेतु बांधने को उद्यत हुए तब समस्त वानर और भालुओ ने राम सेतु का निर्माण करने में भगवान श्री रामचंद्र की सहायता की और देखते ही देखते लंका तक एक सेतु का निर्माण कर दिया।  लेकिन जब श्रीराम विभीषण से मिलने दोबारा लंका गए, तब उन्होंने रामसेतु का एक हिस्सा स्वयं ही तोड़ दिया था। ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। रामसेतु स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने हाथों से थोड़ा और उन्होंने रामसेतु को किन परिस्थितियों में थोड़ा इन समस्त बातों की जानकारी सृष्टि खंड की एक कथा में  मिलती है। पद्म पुराण के अनुसार, अपने वनवास को पूर्ण करने के पश्चात भगवान श्री राम जब अयोध्या में राज कर रहे थे तब एक दिन अचानक उन्हें रावण के छोटे भाई विभीषण की याद आई और उनके हृदय में विभीषण को लेकर यह चिंता उत्पन्न हुई कि रावण के मरने के बाद विभीषण किस तरह लंका का राज्य संभाल रहे होंगे। विभीषण सकुशल तो होगा? उसे कोई चिंता या परेशानी तो नहीं हो रही होगी लंका का राज्य संभालने मे...

Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha | Prabodhini Ekadashi Vrat Katha | Ekadashi Mahatm Katha

॥ अथ प्रबोधिनी देवोत्थान एकादशी माहात्म्य ॥ बह्माजी बोले कि हे मुनिश्रेष्ठ! अब आप पापों को नष्ट करने वाली तथा पुण्य और मुक्ति को देने वाली प्रबोधिनी एकादशी का माहात्म्य सुनिये। भागीरथी गंगा तथा तीर्थ, नदी, समुद्र आदि तभी तक फल देते हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के व्रत का फल एक सहस्त्र अश्वमेघ तथा सौ राजसूय यज्ञ के फल के बराबर होता है। नारदजी ने पूछा कि-हे पिताजी! यह संध्या को भोजन करने से, रात्रि में भोजन करने तथा पूरे दिन उपवास करने से क्या 2 फल मिलता है? उसे आप समझाइये।  ब्रह्माजी बोले कि हे नारद! एक संध्या को भोजन करने से एक जन्म का, रात्रि में भोजन करने से दो जन्म का तथा पूरे दिन उपवास करने से सात जन्म के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। प्रबोधिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से सुमेरू पर्वत के समान कठिन पाप क्षण मात्र में ही नष्ट हो जाते हैं।  अनेकों पूर्व जन्म के किये हुए बुरे कर्मों को यह प्रबोधिनी एकादशी का व्रत क्षण भर में नष्ट कर देता है। जो मनुष्य अपने स्वभावानुसार इस प्रबोधिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करते हैं उन्हें पूर...

एकादशी व्रत का क्या महत्व होता है और इसको करने की विधि और इसको करने से जीवन में फायदे क्या है ?

अथ ॥ एकादशी व्रत माहात्म्य-कथा भाषा ॥ श्रीसूत जी महाराज शौनक आदि अट्ठासी हजार ऋषियों से बोले- हे महर्षियो! एक वर्ष के अन्दर बारह महीने होते हैं और एक महीने में दो एकादशी होती हैं। सो एक वर्ष में चौबीस एकादशी होती हैं। जिस वर्ष लौंद ( अधिक) पड़ता है उस वर्ष दो एकादशी बढ़ जाती हैं। इस तरह कुल छब्बीस एकादशी होती हैं। १. उत्पन्ना, २. मोक्षदा, ( मोक्ष प्रदान करने वाली), ३. सफला (सफलता देने वाली), ४. पुत्रदा (पुत्र को देने वाली), ५. षट्तिला, ६. जया, ७. विजया, ८. आमलकी, ९. पाप मोचनी (पापों को • नष्ट करने वाली), १०. कामदा, ११. बरूथनी, १२. मोहिनी, १३. अपरा, १४. निर्जला, १५. योगिनी, १६. देवशयनी, १७. कामिदा, १८. पुत्रदा, १९. अजा, २०. परिवर्तिनी, २१. इन्द्रर, २२. पाशांकुशा, २३. रमा, २४. देवोत्यानी। लौंद (अधिक) की दोनों एकादशियों का नाम क्रमानुसार पद्मिनी और परमा है। ये सब एकादशी यथा नाम तथा गुण वाली हैं। इन एकादशियों के नाम तथा गुण उनके व्रत की कथा सुनने से मालूम होंगे। जो मनुष्य इन एकादशियों के व्रत को शास्त्रानुसार करते हैं उन्हें उसी के फल की प्राप्ति होती है। नैमिषारण्य क्षेत्र में श्रीसूतजी ब...

पापांकुशा एकादशी महात्म्य कथा | पाशांकुश एकादशी महात्म्य | Papankusha Ekadashi Vrat Katha

 ॥ अथ पाशांकुशा एकादशी माहात्म्य ॥ प्रिय भक्तों पुराणों में बहुत से व्रतों का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है जिनको करने से मनुष्य अपने कल्याण को प्राप्त होता है परन्तु जिस व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया गया है उसे एकादशी का व्रत कहते हैं। एकादशी का व्रत मनुष्य को उसके पापों से तार देता है ,मुक्त कर देता है, उसका परलोक सुधार देता है। आज की कथा में हम आपको पाशांकुश एकादशी जिसे पापांकुशा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है कि कथा सुनाएंगे। हमें पूर्ण आशा और विश्वास है कि आप सब इस एकादशी के व्रत को ध्यान पूर्वक सुनेंगे, इसकी विधि को समझेंगे, तत्पश्यात इसको करेंगे और अपने कल्याण को प्राप्त होंगे। पापंकुशा एकादशी व्रत कथा | Papankusha Ekadashi Vrat Katha युधिष्ठिर बोले कि हे भगवान! आश्विन मास की शुक्लपक्ष की एकादशी का क्या नाम है तथा उस व्रत के करने से कौन-कौन से फल मिलते हैं सो सब कहिये। उस पर श्रीकृष्ण भगवान बोले कि हे राजन! आश्विनमास की शुक्लपक्ष की एकादशी का नाम पाशांकुशा है। इसके व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।  इस एकादशी के दिन मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए श्रीविष्णु भग...

रमा एकादशी महात्म्य कथा | रमा एकादशी महात्म्य | Rama Ekadashi Durlabh Vrat Katha

 ॥ अथ रमा एकादशी माहात्म्य ॥ प्रिय भक्तों पुराणों में बहुत से व्रतों का विस्तार पूर्वक वर्णन मिलता है जिनको करने से मनुष्य अपने कल्याण को प्राप्त होता है परन्तु जिस व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया गया है उसे एकादशी का व्रत कहते हैं। एकादशी का व्रत मनुष्य को उसके पापों से तार देता है ,मुक्त कर देता है, उसका परलोक सुधार देता है। आज की कथा में हम आपको रमा एकादशी कि कथा सुनाएंगे। हमें पूर्ण आशा और विश्वास है कि आप सब इस एकादशी के व्रत को ध्यान पूर्वक सुनेंगे, इसकी विधि को समझेंगे, तत्पश्यात इसको करेंगे और अपने कल्याण को प्राप्त होंगे। रमा एकादशी महात्म्य की दुर्लभ कथा धर्मराज युधिष्ठिर बोले- हे भगवान! अब आप मुझे कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की एकादशी की कथा सुनाइये । इस एकादशी का नाम क्या है तथा इससे कौन सा फल मिलता है? श्रीकृष्ण भगवान बोले कि राजराजेश्वर ! कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम रमा है। इसके व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इसकी कथा इस प्रकार है। प्राचीनकाल में मुचुकुन्द नाम का एक राजा राज्य करता था। उसके इन्द्र वरुण कुबेर विभीषण आदि मित्र थे। वह सत्यवादी तथा विष्णु भ...

Indira Ekadashi Mahatma Ki Durlabh Katha

 ॥ अथ इन्दिरा एकादशी माहात्म्य ॥ प्रिय मित्रों आज हम आप सबके समक्ष कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी की कथा का वर्णन करेंगे। इंदिरा एकादशी की कथा का क्या महत्व है तथा इस कथा को किसने किससे कहा ? इन सभी तथ्यों का संपूर्ण विवेचन हम आपके समक्ष प्रस्तुत करेंगे।  हम आपको बताएंगे कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से क्या लाभ होता है, क्या पुण्य प्राप्त होता है तथा इसको करने से कौन-कौन से फलों की प्राप्ति होती है। अतः आप सबसे हमारा निवेदन है की ध्यान पूर्वक इस दिव्य एकादशी की कथा को सुने और पुण्य के भागी बने।  Indira Ekadashi Mahatma Ki Durlabh Katha धर्मराज युधिष्ठिर बोले- हे भगवान! अब आप कृपा पूर्वक.. आश्विन मास की कृष्णपक्ष की एकादशी की कथा सुनाइए! इस एकादशी का नाम क्या है तथा इस एकादशी के व्रत करने से कौन-कौन पुण्य फल प्राप्त होते हैं। सो सब आप विस्तार पूर्वक समझाकर कहिये।  इस पर श्री कृष्ण भगवान बोले कि हे राजश्रेष्ठ! आश्विन मास की कृष्णपक्ष की एकादशी का नाम इन्दिरा है। इस एकादशी के व्रत करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा नरक में गए हुए उनके प...