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सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

धनतेरस पर किसी पूजा करते है? धनतेरस पूजन विधि?

धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा होती है। इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है साथ ही, नमक भी खरीदना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद सबसे अंत में अमृत की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वह कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी।
धनतेरस पर पूजा करने की विधि:
शाम के समय उत्तर दिशा की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करें।
दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जलाएं।
भगवान कुबेर को सफ़ेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई का भोग लगाएं।
पूजा के दौरान "ॐ ह्रीं कुबेराय नमः" का जाप करें।
पूजा में सबसे पहले आचमन, फिर ध्यान, फिर जाप, इसके बाद आहुति होम और आखिर में आरती करने का विधान होता है।
पंचोपचार विधि से पूजा करने पर कुबेर देव प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
पूजा में कुबेर देव को चंदन, धूप, फूल, दीप, नैवेद्य और भोग आदि जरूर अर्पित करें। भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला किया है।
धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 
इस साल धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को है।
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 5:47 बजे से शाम 7:43 बजे तक रहेगा।
धनतेरस में क्या खरीदना चाहिए?
धनतेरस के दिन ये चीज़ें खरीदना शुभ माना जाता है: 
पान के पत्ते
धनिया
लक्ष्मी चरण
लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा
झाड़ू
खील बताशे
गोमती चक्र
पीतल के बर्तन
सोना-चांदी के आभूषण
दीपक
कुबेर यंत्र
लक्ष्मी यंत्र
महालक्ष्मी यंत्र
नमक
धनतेरस के दिन इन चीज़ों को घर लाने से धन-दौलत में बरकत होती है और परिवार के सदस्यों को धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता।
धनतेरस के दिन ये चीज़ें खरीदना अशुभ माना जाता है: 
-काले कपड़े
-लोहे का सामान
-प्लास्टिक की वस्तुएं
-शीशे का सामान
धनतेरस के शुभ मुहूर्त कब है?
साल 2023 में धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 5:47 बजे से शाम 7:43 बजे तक है। इस अवधि में धनतेरस की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। पूजा मुहूर्त में आप घर में श्री, लक्ष्मी, गणेश, कुबेर आदि यंत्र की स्थापना भी कर सकते हैं।
धनतेरस के दिन पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाएगी। इस साल धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को है। धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 11 नवंबर को 1 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।

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