कुबेर कौन है? | कुबेर की पूजा कैसे और कब की जती है? | कुबेर पूजन विधि क्या है? | कुबेर पूजन मंत्र क्या है?
कुबेर कौन है?
कुबेर एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुबेर महाराज को स्थायी धन का स्वामी माना जाता है। कुबेर देव धन को स्थिर रखने का कार्य करते हैं और देवी लक्ष्मी धन को गतिमान रखती हैं। कुबेर महाराज को खजाने के रूप में स्थायी धन का देवता भी कहा जाता है, इसलिए कुबेर जी को भी मां लक्ष्मी की तरह पूजा जाता है।कुबेर के बारे में कुछ और बातें:
- कुबेर यक्षों के राजा हैं।
- कुबेर उत्तर दिशा के दिकपाल हैं।
- कुबेर संसार के रक्षक लोकपाल भी हैं।
- कुबेर रावण, कुंभकर्ण और विभीषण के सौतेले भाई हैं।
- कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी बताया जाता है।
- कुबेर के पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
- वास्तु दृष्टिकोण से घर में कुबेर देव की मूर्ति रखना बेहद शुभ माना जाता है।
- शिव का कुबेर देव को वरदान है कि जो इनकी पूजा करेगा उसे धन वैभव की कमी नहीं होगी।
- हिंदू ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार हर देवी-देवता के पास एक-एक जिम्मेदारी दी गई थी।
- भगवान शिव ने देवताओं के धन की रक्षा के लिए कुबेर जी को इसका भार सौंपा था।
- कुबेर आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं।
- कुबेर ने अपने संघर्ष और शिव के आशीर्वाद से देवता का दर्जा हासिल किया।
भगवान शिव ने कुबेर को क्या वरदान दिया था?
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार कुबेर पूर्वजन्म में गुणनिधि नाम के ब्राह्मण थे। बचपन में उन्होंने कुछ समय तक धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया, लेकिन बाद में कुसंगति में पड़कर जुआ खेलने लगे। धीरे-धीरे चोरी और दूसरे गलत काम भी करने लगे। एक दिन दुःखी होकर गुणनिधि के पिता यज्ञदत्त ने उन्हें घर से निकाल दिया।
जब भटकते हुए उसे एक शिव मंदिर दिखा तो उसने मंदिर से प्रसाद चुराने की योजना बनाई। कुबेर की मंदिर से प्रसाद चुराने की क्रिया में भी भगवान शिव ने उसके भीतर एक भक्त की भक्ति को देख लिया जिसके परिणाम स्वरुप भगवान ने उसे पर कृपा की। भगवान शिव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अगले जन्म में धनपति होने का वरदान दिया। वही गुणनिधि अगले जन्म में धनपति कुबेर के नाम से प्रसिद्ध हुए।
शिव जी ने कुबेर देव का घमंड कैसे दूर किया?
कुबेर के बारे में कुछ और बातें:
- कुबेर रावण के कुल-गौत्र के कहे गए हैं।
- कुबेर को यक्ष भी कहा गया है।
- कुबेर के पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
- कुबेर की पत्नी का नाम 'भद्रा' था। भद्रा, सूर्य देवता और छायादेवी की पुत्री थीं। कुबेर को क्रासुला का पौधा बेहद प्रिय है।
- यक्षराज कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ की जाती है।
- घर में लक्ष्मी-कुबेर के वास से धन-वैभव के साथ सुख-शांति आती है।
- घर में कुबेर की मूर्ति रखने से धन और समृद्धि आती है।
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, कुबेर की मूर्ति पूजा कक्ष या घर के उत्तर में रखनी चाहिए।
- कुबेर और लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
कुबेर का कौन सा मंत्र है?
- धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
- अष्ट लक्ष्मी कुबेर मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये ।।
- धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
कुबेर के मंत्रों का जाप करने के कुछ तरीके:
- सुबह स्नान के बाद मोतियों की माला से 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः' इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
- सुबह और शाम दोनों समय इस मंत्र का जाप करें
- मंत्र जाप करने के बाद हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह सभी कष्ट दूर करें
- इस मंत्र की साधना शुक्रवार की रात को करें।
कुबेर को प्रसन्न करने के लिए:
- कुबेर यंत्र की पूजा करें
- महामृत्युञ्जय मंत्र का कम से कम दस हज़ार जप करें
कुबेर को ये चीज़ें चढ़ाई जाती हैं:
कुबेर जी को पीले रंग का भोजन चढ़ाना चाहिए। कुबेर जी को पीला रंग प्रिय है। पीले रंग के लड्डू, केसर या केसर से बनी खीर, कस्टर्ड आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाए जा सकते हैं। केसर मिश्रित दूध भी प्रसाद के रूप में चढ़ाया जा सकता है।
कुबेर जी को प्रसन्न करने के लिए ये मंत्र भी जाप किए जा सकते हैं:
- 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः'
- 'ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥'
कुबेर जी को खुश कैसे करें?
कुबेर जी को खुश करने के लिए, ये उपाय किए जा सकते हैं:
- सुबह स्नान के बाद, मोतियों की माला से 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
- 'ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा'॥ मंत्र का जाप करें।
- त्रयोदशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
- घर में आरती करने के बाद कपूर जलाएं।
- घर के मंदिर में श्री यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें।
- नारियल को घर के मंदिर में रखें।
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