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सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

कुबेर कौन है? | कुबेर की पूजा कैसे और कब की जती है? | कुबेर पूजन विधि क्या है? | कुबेर पूजन मंत्र क्या है?

सनातन धर्म में अनेको देवी-देवता हैं जिनकी पूजा करके मनुष्य अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है। मनुष्य की अनगिनत इच्छाएं हैं जिनमें से एक उसकी आर्थिक संपनन्नता की इच्छा होती है। इस इच्छा की पूर्ति के लिए सभी सनातन धर्म प्रेमी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं पर साथ ही साथ कुबेर देवता की भी पूजा करते हैं। आज हम जानेंगे की कुबेर कौन है? उन्हें यह उपाधि किसने दी? और उनकी पूजा क्यों की जाती है?

कुबेर कौन है?

कुबेर एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुबेर महाराज को स्थायी धन का स्वामी माना जाता है। कुबेर देव धन को स्थिर रखने का कार्य करते हैं और देवी लक्ष्मी धन को गतिमान रखती हैं। कुबेर महाराज को खजाने के रूप में स्थायी धन का देवता भी कहा जाता है, इसलिए कुबेर जी को भी मां लक्ष्मी की तरह पूजा जाता है।
कुबेर को भगवान शिव का अधिपति माना जाता है। इसलिए दिवाली के दिन उनकी पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार धनतेरस (Dhanteras) के दिन धन के देवता कुबेर की विशेष पूजा होती है। साथ ही भगवान धनवंतरी (Lord Dhanvantari) तथा यमदेव (Yam Puja) की पूजा भी की जाती है।

कुबेर के बारे में कुछ और बातें: 

  • कुबेर यक्षों के राजा हैं।
  • कुबेर उत्तर दिशा के दिकपाल हैं।
  • कुबेर संसार के रक्षक लोकपाल भी हैं।
  • कुबेर रावण, कुंभकर्ण और विभीषण के सौतेले भाई हैं।
  • कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी बताया जाता है।
  • कुबेर के पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
  • वास्तु दृष्टिकोण से घर में कुबेर देव की मूर्ति रखना बेहद शुभ माना जाता है।
  • शिव का कुबेर देव को वरदान है कि जो इनकी पूजा करेगा उसे धन वैभव की कमी नहीं होगी।
  • हिंदू ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार हर देवी-देवता के पास एक-एक जिम्मेदारी दी गई थी। 
  • भगवान शिव ने देवताओं के धन की रक्षा के लिए कुबेर जी को इसका भार सौंपा था। 
  • कुबेर आसुरी प्रवृत्तियों का हरण करने वाले देव हैं। 
  • कुबेर ने अपने संघर्ष और शिव के आशीर्वाद से देवता का दर्जा हासिल किया।

भगवान शिव ने कुबेर को क्या वरदान दिया था?

शिव पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने कुबेर को 'धनपाल' होने का वरदान दिया था।

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार कुबेर पूर्वजन्म में गुणनिधि नाम के ब्राह्मण थे। बचपन में उन्होंने कुछ समय तक धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया, लेकिन बाद में कुसंगति में पड़कर जुआ खेलने लगे। धीरे-धीरे चोरी और दूसरे गलत काम भी करने लगे। एक दिन दुःखी होकर गुणनिधि के पिता यज्ञदत्त ने उन्हें घर से निकाल दिया।
जब भटकते हुए उसे एक शिव मंदिर दिखा तो उसने मंदिर से प्रसाद चुराने की योजना बनाई। कुबेर की मंदिर से प्रसाद चुराने की क्रिया में भी भगवान शिव ने उसके भीतर एक भक्त की भक्ति को देख लिया जिसके परिणाम स्वरुप भगवान ने उसे पर कृपा की। 
भगवान शिव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे अगले जन्म में धनपति होने का वरदान दिया। वही गुणनिधि अगले जन्म में धनपति कुबेर के नाम से प्रसिद्ध हुए।

शिव जी ने कुबेर देव का घमंड कैसे दूर किया?

शिव जी ने कुबेर देव को पूरे परिवार के साथ भोजन का न्योता दिया। शिव जी समझ गए थे कि कुबेर देव को अपने धन और पद का घमंड हो गया है। भगवान ने कहा कि हमसे अच्छा है कि आप ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराएंगे तो बेहतर रहेगा। परंतु कुबेर महाराज का अहंकार उन्हें उदंडता करने के लिए प्रेरित कर रहा था। 
उनकी इस उदंडता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने उनका निमंत्रण स्वीकार कर अपने पुत्र श्री गणेश को वहां पर भोजन के लिए भेज दिया। भगवान श्री गणेश ने जब उनके यहां भोजन करना प्रारंभ किया तो किसी भी प्रकार से कुबेर महाराज उनकी भूख को शांत करने में असफल रहे जिसका परिणाम यह हुआ कि भोजन के समाप्त होते ही भगवान श्री गणेश भूख से व्याकुल होने लगे और उन्होंने कुबेर को आदेश दिया कि कुबेर तुमने मुझे भोजन पर आमंत्रित किया है इसलिए मेरी भूख को शांत करो अन्यथा मैं तुम्हें खा जाऊंगा। 
इस प्रकार भय से व्याप्त कुबेर सोचने लगे अब मैं कैसे उनकी भूख को मितऊ।  भोजन में विलंब होने के कारण भगवान श्री गणेश ने कुबेर का महल, उसकी धन संपदा सब कुछ खाना शुरू कर दिया। कुबेर का सारा स्वर्ण धीरे-धीरे करके भगवान खाने लगे। यह सब देख भागते-भागते कुबेर भगवान शिव और माता पार्वती के पास गए और पार्वती माता से प्रसाद स्वरूप ग्रहण किए गए भोजन को जब उन्होंने भगवान श्री गणेश को अर्पित किया तब जाकर भगवान श्री गणेश की भूख शांत हुई और भगवान श्री गणेश ने कुबेर के महल से कैलाश के लिए प्रस्थान किया। तत्पश्चात कुबेर का अहंकार टूट गया और कुबेर ने अपनी मूर्खता और दृष्टता के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश से क्षमा मांगी। 
वास्तु दृष्टिकोण से घर में कुबेर देव की मूर्ति रखना बेहद शुभ माना जाता है। इससे व्यक्ति को कभी आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं पड़ेगा और उसका दैनिक जीवन भी संतुलित बना रहता है।

कुबेर का दूसरा नाम क्या है?

भगवान कुबेर के कई नाम है जिनमें से कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं: 
धनपति, धनद, वैश्रवण, अलकापति, यक्ष, एड़विड़, एकाक्षपिंगल, निदेश, धनेश्वर।

कुबेर के बारे में कुछ और बातें: 

  • कुबेर रावण के कुल-गौत्र के कहे गए हैं। 
  • कुबेर को यक्ष भी कहा गया है। 
  • कुबेर के पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं। 
  • कुबेर की पत्नी का नाम 'भद्रा' था।  भद्रा, सूर्य देवता और छायादेवी की पुत्री थीं। कुबेर को क्रासुला का पौधा बेहद प्रिय है।

कुबेर और लक्ष्मी का क्या संबंध है?

यक्षराज कुबेर और माता लक्ष्मी के बीच में क्या संबंध है इस पर गहन विचार करते हुए हम आपको बताते हैं कि यक्षराज कुबेर को माता महालक्ष्मी का वित्त मंत्री माना जाता है।  
  • यक्षराज कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ की जाती है।
  • घर में लक्ष्मी-कुबेर के वास से धन-वैभव के साथ सुख-शांति आती है।
  • घर में कुबेर की मूर्ति रखने से धन और समृद्धि आती है।
  • वास्तु शास्त्र के मुताबिक, कुबेर की मूर्ति पूजा कक्ष या घर के उत्तर में रखनी चाहिए।
  • कुबेर और लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है।

कुबेर का कौन सा मंत्र है?

यूं तो कुबेर महाराज को प्रसन्न करने के लिए पुराणों में अनेक मंत्र बताए गए हैं फिर भी कुछ प्रमुख मंत्रो का उल्लेख जो अति शीघ्र फलीभूत होते हैं उनका वर्णन हम यहां पर कर रहे हैं।  
  • धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र:- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
  • अष्ट लक्ष्मी कुबेर मंत्र:- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
  • ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये ।।
  • धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

कुबेर के मंत्रों का जाप करने के कुछ तरीके: 

  • सुबह स्नान के बाद मोतियों की माला से 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः' इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 
  • सुबह और शाम दोनों समय इस मंत्र का जाप करें
  • मंत्र जाप करने के बाद हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह सभी कष्ट दूर करें
  • इस मंत्र की साधना शुक्रवार की रात को करें।

भगवान कुबेर को क्या पसंद है?

धन के देवता कुबेर को ये चीज़ें पसंद हैं: 
गेंदे का पौधा
क्रासुला का पौधा
कुबेर यंत्र
महामृत्युञ्जय मंत्र

कुबेर को प्रसन्न करने के लिए: 

  • कुबेर यंत्र की पूजा करें
  • महामृत्युञ्जय मंत्र का कम से कम दस हज़ार जप करें

कुबेर को ये चीज़ें चढ़ाई जाती हैं: 

जल कलश, सिंदूर, लाल पुष्प, माला, मिठाई, नारियल, चौकी, लाल कपड़ा, रोली, मोली, पंचामृत, लाल चंदन, हल्दी, गंगाजल, घी का दिया, धूपबत्ती, कर्पूर, पंचमेवा, इत्यादि। 
कुबेर यंत्र को घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर यंत्र को स्थापित करें। उस पर गंगाजल छिड़कें, रोली और चावल से तिलक करें। पुष्प चढ़ाएं और दीपक जलाकर भोग लगाएं। इस मंत्र का जाप करें।

कुबेर जी को कौन सा प्रसाद चढ़ाना चाहिए?

कुबेर जी को पीले रंग का भोजन चढ़ाना चाहिए। कुबेर जी को पीला रंग प्रिय है। पीले रंग के लड्डू, केसर या केसर से बनी खीर, कस्टर्ड आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाए जा सकते हैं। केसर मिश्रित दूध भी प्रसाद के रूप में चढ़ाया जा सकता है।

कुबेर जी को प्रसन्न करने के लिए ये मंत्र भी जाप किए जा सकते हैं: 

  • 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः'
  • 'ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥'
कुबेर जी की पूजा हर दिन की जा सकती है, लेकिन विशेष तिथि पर की पूजा और मंत्र जाप बहुत ही शीघ्र फलदायी होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चंद्र माह का 13वां दिन त्रयोदशी तिथि सबसे उपयुक्त रहती है।

कुबेर जी को खुश कैसे करें?

कुबेर जी को खुश करने के लिए, ये उपाय किए जा सकते हैं: 

  • सुबह स्नान के बाद, मोतियों की माला से 'ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • 'ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा'॥ मंत्र का जाप करें।
  • त्रयोदशी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
  • घर में आरती करने के बाद कपूर जलाएं।
  • घर के मंदिर में श्री यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। 
  • नारियल को घर के मंदिर में रखें।

कुबेर जी को कौन सा फूल पसंद है?

कुबेर जी को पीले रंग के फूल पसंद हैं। इसलिए, घर में गेंदे का पौधा लगाना चाहिए।
कुबेर जी को कमल का फूल भी अर्पित किया जा सकता है।
इसके अलावा, हल्दी का पौधा, पीले गेंदें या गुड़हल का फूल लगाने से भी कुबेर जी की कृपा बनी रहती है।

कुबेर जी को ये फूल भी पसंद हैं: 
गेंदे के फूल
कमल का फूल
गूलर के फूल
हल्दी का पौधा
पीले गेंदें
गुड़हल का फूल

कुबेर जी को ये पौधे भी पसंद हैं: 
क्रासुला का पौधा

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