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Showing posts from October, 2019

सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

गुरु कृपा सागर - स्वामी परमानंद जी महाराज

गुरु कृपा गुरु की कृपा और उनकी महिमा का वर्णन पुरातन काल से हमारे वेद और शास्त्रों में अनेकों जगहों वर्णित है। गुरु की महिमा का सहज वर्णन नहीं किया जा सकता।  सहजोबाई एक साध्वी ने तो यहां तक कह डाला कि "गुरु न तजौ ,हरी हो ताज डारौ " अर्थात गुरु को मैं नहीं छोड़ सकती भले ही हरि को छोड़ना पड़े। इसीलिए गुरु को कृपा का सागर अर्थ गुरु कृपा सागर कहते है।  गुरु को मैं नहीं छोड़ सकता हरी को छोड़ सकता हूं क्योंकि हरी सदा साथ रहा और उसने मेरा कोई भी काम नहीं किया। हरि तो सदा से था। वह करता पुरुष ,अकाल पुरुष ,परमपिता तो सदा से था परंतु उसने हमारा क्या किया। इसलिए कहा गया है "हरी ने जन्म मरण दियो साथ "  अर्थात हरि ने तो जन्म और मरण दिया ,हरि के कारण ही सारा बंधन और दुख हुआ ,जो भोगना पड़ा परंतु गुरु ने कृपा करके मुझे छुड़ा लिया ,बंधन मुक्त कर दिया ,गुरु ने भाव बंधन से छुटकारा दिलाया और मेरे स्वरूप का बोध कराया। गुरु का काम बंधन मुक्त करना है।  गुरु की महिमा का गान करते हुए अन्य गुरुवो ने भी कहा "गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपन...

योग में सहजता और सरलता - स्वामी परमानन्द गिरी जी महाराज

प्राय देखा गया है की बहुत से साधक योग साधना के द्वारा अपनी कुण्डलिनी शक्ति को जागृत करने का प्रयास करते है पर कुछ त्रुटियों के कारण सफल नहीं हो पाते। स्वामी परमानन्द जी महाराज द्वारा बताये गए योग के सिद्ध्हांतो में से कुछ विशेष सिद्धांत यहाँ बताये गए है जिनका साधक को ज्ञान होना चाहिए।  योग साधना करते हुए साधक को चाहिए कि वह अपने शरीर को सहज स्थिति में रहने दे अर्थात शरीर को जैसी स्थिति अच्छी लगती है ,शरीर स्वाभाविक जैसे अच्छा अनुभव करता है साधक को उसी आसान में बैठना चाहिए लेकिन सहजता का अर्थ यह नहीं की योग करते समय आप निंद्रा की अवस्था में हो जाएं। आपको सतत स्मरण रहे ,आप क्षण प्रतिक्षण जागृत रहे अर्थात आप पूर्ण जागृत अवस्था में रहे।   इस बात का ध्यान रखना चाहिए की जब कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है तो शरीर में विभिन्न प्रकार की क्रियाएं होने लगती हैं। भीतर जो होता है उसे सहजता से होने दे। उसमें आपकी समझ व संकोच बाधक नहीं होनी चाहिए। साधक सरल हृदय होना चाहिए। जिनका हृदय सरल होता है वह गुरु के पास बैठभर जाते हैं तो उनकी कुंडलिनी जा...

परमानन्द जी महाराज का जीवन परिचय

सनातन धर्म सदैव से पूजनीय बना हुवा है क्युकी सनातन धर्म मानव जीवन को वो सिद्धांत प्रदान करता है जिनपे चलकर मानव अपने जीवन को शाश्त्रोक्त तरीके से जी सकता है। इसीकारण प्राचीनकाल से ही सम्पूर्ण BHARAT में ऋषि परंपरा चली आ रही है।  हिन्दू धर्म में ऋषियों को ईश्वर का प्रतिनिधि कहा जाता है।   जब हम पुराणों और वेदों का अध्ययन करते हैं तो हम पाते हैं कि जब-जब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार धारण किया तब-तब उन्होंने स्पष्ट रूप से समाज को ये संदेश दिया कि संत समाज सदैव ही पूजनीय माना जाता है। आज हम उसी संत समाज में से एक ऐसे दिव्य महापुरुष के बारे में जानेंगे जिनके बारे में जितना भी कहा जाए उसमें कोई भी अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि ये ऐसे दिव्य महापुरुष है जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानवता के नाम कर दिया।  परमानन्द जी महाराज का जीवन परिचय   स्वामी परमानंद जी महाराज सनातन धर्म और वेदांत वचनों और शास्त्रों के विश्वविख्यात ज्ञाता के रूप में आज संसार के प्रसिद्ध संतों में गिने जाते हैं। स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज ने वेदांत वचन को एक सरल और साधारण भाषा के अंदर परिवर्तित कर जनमान...