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सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

Tulsi Mala: तुलसी की माला किस दिन पहने? तुलसी की माला कब नही पहनी चाहिए?

Tulsi Mala: तुलसी की माला किस दिन पहने? तुलसी की माला कब नही पहनी चाहिए? 

तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं अपितु सनातन धर्म में तुलसी को देवी अर्थात माता का स्थान प्रदान किया गया है। तुलसी के महत्व की बात करें तो बिन तुलसी के भगवान भोग भी स्वीकार नहीं करते, ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा है।
तुलसी माला का आध्यात्मिक महत्व हिंदू और बौद्ध परंपराओं में गहराई से निहित है। यहाँ कुछ प्रमुख पहलू हैं:

देवताओं से संबंध

भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण: तुलसी को हिंदू धर्म में एक पवित्र पौधा माना जाता है, जो अक्सर भगवान विष्णु और उनके अवतारों से जुड़ा होता है, जिसमें भगवान कृष्ण भी शामिल हैं। माना जाता है कि तुलसी माला पहनने के लिए उनके आशीर्वाद और सुरक्षा को आकर्षित करने के लिए माना जाता है।

पवित्रता और भक्ति का प्रतीक

शुद्धता: तुलसी संयंत्र अपनी पवित्रता के लिए श्रद्धा है। तुलसी माला पहनने से विचारों, शब्दों और कार्यों में पवित्रता बनाए रखने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
भक्ति: यह आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति समर्पण और समर्पण का एक निशान है। भक्तों ने मंत्रों और प्रार्थनाओं का जप करने के लिए माला का उपयोग किया, उनके आध्यात्मिक संबंध को बढ़ाते हुए।

आध्यात्मिक लाभ

नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा: यह माना जाता है कि तुलसी माला पहनने वाले को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी आत्माओं और बुरे सपनों से बचाता है।
मन को शांत करना: माला मन को शांत करने, तनाव को कम करने और मानसिक शांति को बढ़ावा देने में मदद करती है। यह इसे ध्यान और माइंडफुलनेस प्रथाओं के लिए एक उत्कृष्ट उपकरण बनाता है।
आध्यात्मिक विकास को बढ़ाना: आध्यात्मिक प्रथाओं में तुलसी माला का नियमित उपयोग आध्यात्मिक विकास और ज्ञान में सहायता के लिए कहा जाता है।

अनुष्ठान और व्यवहार

जप और ध्यान: तुलसी माला का उपयोग आमतौर पर मंत्रों के जप के लिए किया जाता है, विशेष रूप से देवताओं के नाम। प्रत्येक मनका एक मंत्र का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे भक्त उनकी प्रार्थनाओं पर नज़र रखने में मदद करता है।
दैनिक पूजा: भक्त अक्सर तुलसी के पौधे और माला की पूजा करते हैं, पानी, फूल और आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना करते हैं।
एक तुलसी माला एक पवित्र हार है जो तुलसी पौधे की लकड़ी से बना है, जो अपने आध्यात्मिक और औषधीय गुणों के लिए हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में श्रद्धा है। यहाँ तुलसी मलास के बारे में कुछ प्रमुख बिंदु दिए गए हैं:

तुलसी माला पहनने के लाभ

Tulsi Mala kis din pehne - Ekadashi Vrat Katha Mahatma
Image credit goes to Freepik 
आध्यात्मिक महत्व:
 तुलसी माला पहनने से साधक को श्री हरि की विशेष कृपा और सानिध्य प्राप्त होता है।
संरक्षण: यह बुरे सपने, दुर्घटनाओं और नकारात्मक ऊर्जा से संरक्षण हेतु साधक को तुलसी की माला धारण करनी चाहिए ।
स्वास्थ्य लाभ: आयुर्वेद का सुझाव है कि तुलसी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिसमें तनाव से राहत और बेहतर रोगप्रतिरोधक क्षमता शामिल हैं।
मानसिक शांति: तुलसी माला मन और आत्मा को शांत करने में मदद करती है, जिससे यह ध्यान और जप हेतु आदर्श साधन के रूप में पहचानी जाती है।

तुलसी माला पहनने से पूर्व सावधानी

शुद्धता: मांस, शराब और बेईमानी भाषा से परहेज, एक सत्त्विक जीवन शैली बनाए रखें।
पूजा: नियमित रूप से तुलसी माला की पूजा करें, विशेष रूप से सुबह और शाम 3 में।
जप: मंत्रों का जप करने के लिए माला का उपयोग करें, आमतौर पर 108 मोतियों के साथ देवताओं के 108 नामों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
तुलसी की माला को धारण करने के लिए प्रदोष काल को सबसे अच्छा समय माना जाता है। इसके अलावा, सोमवार, गुरुवार, या बुधवार के दिन भी तुलसी की माला पहनी जा सकती है। हालांकि, रविवार और अमावस्या के दिन तुलसी की माला नहीं पहननी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान भी तुलसी की माला नहीं पहननी चाहिए।

तुलसी की माला पहनने से जुड़ी कुछ और बातें: 

1. तुलसी की माला धारण करने से पहले स्नान करना चाहिए।
2. स्नान करने के बाद भगवान का ध्यान करना चाहिए और फिर तुलसी की माला धारण करनी चाहिए।
3. तुलसी की माला धारण करते समय भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता है। 
4. तुलसी की माला को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
5. तुलसी की माला पहनने के बाद सात्विक भोजन करना चाहिए।
6. तुलसी की माला पहनने के बाद विचार शुद्ध रखने चाहिए। 
7. किसी और की तुलसी माला पहनना वर्जित है। 
8. तुलसी माला में आमतौर पर 108 दाने होते हैं।

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