माघ शुक्ल पक्ष जया एकादशी व्रत कथा माहात्म्य सहित

एकादशी व्रत कथा ब्लॉग एकादशी और कई पौराणिक कथाओं के बारे में विस्तार से बताता है। यह ब्लॉग सनातन धर्म से जुड़े हर रहस्य को उजागर करने में सक्षम है। एकादशी ब्लॉग के माध्यम से हम आप सभी तक पूरे वर्ष में पड़ने वाली सभी 26 एकादशी की कथा को विस्तार से लेकर आए है। इस ब्लॉग के माध्यम से आप सभी को सनातन धर्म से जुड़ने का एक अवसर प्राप्त होने जा रहा है।
प्रिय मित्रों नवरात्रि के तृतीय दिवस में आप सभी का स्वागत है। आप सभी को जानकर हर्ष होगा कि नवरात्रि के तीसरे दिन हम सभी माता चंद्रघंटा की उपासना करते हैं। माता चंद्रघंटा का यह स्वरूप माता आदिशक्ति के ही 9 रूपों में से एक स्वरूप है जिसे हम सभी चंद्रघंटा के रूप में जानते हैं।
माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा विराजमान है। इसीलिए माता का नाम चंद्रघंटा पड़ा है। माता का स्वरूप परम शांति और शांति दायक माना जाता है। माता का ध्यान रखते हुए जो भी साधक माता की आराधना करता है और माता को प्रसन्न करने का प्रयास करता है, उसकी भावना से प्रसन्न होकर माता उसके कुल को तार देती है। उसे परम सौभाग्यवान बनाती है।
माता चंद्रघंटा के तीन नेत्र और 10 भुजाएं शोभा पाती हैं। माता ने अपनी 10 भुजाओं में अनेक अस्त्र-शस्त्र धारण कर रखे हैं। जैसे त्रिशूल, खड़क, धनुष, बाण, चक्र, गदा इत्यादि। माता का वाहन सिंह है। माता का स्वरूप सदैव युद्ध के लिए तैयार रहने वाला है।
माता के मस्तक पर विराजमान घंटे के आकार के आधे चंद्र से जो ध्वनि निकलती है उसके स्वर से भयानक दैत्य और डस्ट आत्माये कांपने लगती है। माता का दर्शन परम कल्याण कारक माना जाता है। माता के दर्शन कर लेने मात्र से ही प्राणी के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। माता के शरीर से दिव्य सुगंध आती रहती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन माता को प्रसन्न करने और उनकी पूजा करने की विधि इस प्रकार है। यदि संभव हो तो एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर सर्वप्रथम माता की प्रतिमा को स्थापित करें और श्रद्धा सहितअंतर्मन से माता को विराजमान होने के लिए प्रार्थना करें। तत्पश्चात माता का शृंगार करें और अक्षत, गुलाब, दुर्वा, पुष्प, लोंग इत्यादि से लेकर माता की अर्चना करें।
दुर्गा सप्तशती मंत्र द्वारा माता को प्रसन्न करने का प्रयास करें। साथ ही साथ माता चंद्रघंटा का मन्त्र भी अवश्य पढ़ें। माता चंद्रघंटा का मन्त्र निम्नलिखित है:"ॐ या देवी सर्वा भूतेषू चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्ए नमस्तस्ए नमो नमः "
नवरात्रि में माता को मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। यु तो माता को भक्तो द्वारा अर्पित हर भोग प्रिय लगता है फिर भी माता को हलवे का भोग अत्यंत प्रिय माना जाता है।
शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए माता चंद्रघंटा की आराधना घंटा बजाकर करनी चाहिए साथ ही साथ बड़े से बड़े कष्ट के निवारण हेतु माता को गाय के दूध का भोग लगाना चाहिए। माता को लाल वस्त्र, लाल फूल अत्यंत प्रिय है।
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