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Vishnu Sahasranama Stotram in Sanskrit

Vishnu Sahasranama Stotram विष्णु सहस्रनाम , भगवान विष्णु के हज़ार नामों से बना एक स्तोत्र है। यह हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और प्रचलित स्तोत्रों में से एक है। महाभारत में उपलब्ध विष्णु सहस्रनाम इसका सबसे लोकप्रिय संस्करण है। शास्त्रों के मुताबिक, हर गुरुवार को विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से जीवन में अपार सफलता मिलती है। इससे भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि आती है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से मिलने वाले फ़ायदे: मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यश, सुख, ऐश्वर्य, संपन्नता, सफलता, आरोग्य, और सौभाग्य मिलता है। बिगड़े कामों में सफलता मिलती है। कुंडली में बृहस्पति के दुष्प्रभाव को कम करने में फ़ायदेमंद होता है। भौतिक इच्छाएं पूरी होती हैं। सारे काम आसानी से बनने लगते हैं। हर ग्रह और हर नक्षत्र को नियंत्रित किया जा सकता है । विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने के नियम: पाठ करने से पहले पवित्र होना ज़रूरी है। व्रत रखकर ही पाठ करें। व्रत का पारण सात्विक और उत्तम भोजन से करें। पाठ करने के लिए पीले वस्त्र पहनें। पाठ करने से पहले श्रीहरि विष्णु की विधिवत पूजा

Swami Parmanand Giri Ji Maharaj Vishesh Vyaktitva

परमानन्द जी महाराज का व्यक्तिव

नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी के समक्ष एक ऐसे महात्मा के बारे में चर्चा करने आए हैं जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मानव समाज की सेवा को समर्पित कर दिया। जिन्होंने निस्वार्थ भाव से समस्त मानव जाति की आजीवन सेवा की और आज भी पूरे विश्व में एक युगपुरुष के रूप में पूजे जाते हैं जिन्हें हम सभी युगपुरुष महामंडलेश्वर स्वामी श्री परमानंद जी महाराज के नाम से जानते हैं। 

स्वामी जी के जीवन चरित्र के बारे में जितनी भी गाथाएं कहीं जाए वह कम है। स्वामी जी का चरित्र और उनके जीवन के मुख्य प्रसंगों के विषय में हम पहले ही बहुत से लेखो में चर्चा कर चुके हैं। अखंड परम धाम के नाम से स्वामी जी का आश्रम विद्यमान है जहां से चारों तरफ स्वामी जी ज्ञान का प्रकाश फैलाते आ रहे हैं। भारत भूमि सदैव से ऋषि-मुनियों की भूमि रही है।  इस पवित्र भूमि पर सदैव से वेद मंत्रों के आलाप गूंजते रहे हैं और वेद मंत्रों के इन्हीं आलापों के कारण भारतवर्ष की भूमि पवित्र बनी हुई है। 

स्वामी श्री परमानंद जी महाराज सदैव से एक ही बात पर विचार करते आ रहे हैं और अपनी समस्त कथाओं में और अपने उपदेशों में उन्होंने केवल राम नाम के महत्व को समझाने का प्रयास किया है। वह सदैव यही कहते आए हैं किस हार्ड मांस के इस शरीर में अगर कुछ है तो केवल राम है। राम है तो हम हैं राम नहीं तो हम नहीं। राम के सिवा इस समस्त संसार में कुछ भी नहीं। स्वामी जी के पावन उपदेशो को सुनकर समस्त मानव जाति आज कृतार्थ हो रही है। 

उन के सानिध्य में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी संगठित हुई जिसमें स्वामी जी को एक मुख्य पद प्रदान किया गया। स्वामी जी के दिशा निर्देशों में राम मंदिर की कार्य प्रगति की ओर अग्रसर हो रहा हैं और समस्त कासेवक स्वामी श्री परमानन्द जी महाराज के सानिध्य से कृतार्थ हो रहे हैं। 

यूं तो महापुरुषों के जीवन की व्याख्या करना हर किसी के लिए सहज नहीं है। महापुरुष अपनी ही धुन में रमे रहते हैं जैसे कि स्वामी श्री परमानंद जी महाराज लोक कल्याण हितार्थ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल हुए। उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस से लेकर राम जन्मभूमि ट्रस्ट के संगठित होने तक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिस कारण आज समस्त भारतवर्ष के सनातन प्रेमी स्वामी जी को अपना प्रिय मानते हैं क्योंकि सनातन धर्म की संपूर्ण समझ को आमजन तक समझाने का श्रेय परम श्रद्धेय श्री स्वामी परमानंद जी महाराज को जाता है। 

जैसे हम सभी ने हमेशा परमानंद जी महाराज के प्रवचन में सुना होगा कि वो एक बात सदैव कहते हैं कि "जा मरने से जग डरे, मेरे मन परमानंद" अर्थात मृत्यु से सारा संसार डरता है परंतु जो आत्म ज्ञानी होता है वह मृत्यु के भय से कभी भयभीत नहीं होता क्योंकि वह जानता है कि मृत्यु से डरना नहीं चाहिए क्योंकि मृत्यु वह स्थिति है जहां आत्मा को परम आनंद की प्राप्ति होती है। 

अगर कुछ पीछे छूटता है तो वह केवल यह शरीर है जो कि सदा नश्वर था और नश्वर ही रहेगा परंतु इसके अंदर जो दिव्य चेतना स्वरुप परमात्मा का अंश अर्थात आत्मा है वह अजर अमर है और वह इस शरीर को त्यागते ही परमपिता परमेश्वर में विलीन होकर परमानंद की अनुभूति करती है। अतः किसी भी जीव को मृत्यु आने पर शोक नहीं करना चाहिए। 

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