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अयप्पा स्वामी का जीवन परिचय | सबरीमाला के अयप्पा स्वामी कौन है?

अयप्पा स्वामी, हिंदू धर्म के एक देवता हैं। उन्हें धर्मसस्थ और मणिकंदन भी कहा जाता है। उन्हें विकास के देवता के रूप मे माना जाता है और केरल में उनकी खास पूजा होती है। अयप्पा को धर्म, सत्य, और धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है। अक्सर उन्हें बुराई को खत्म करने के लिए कहा जाता है। अयप्पा स्वामी को भगवान शिव और देवी मोहिनी का पुत्र माना जाता है। Swami Sharaname Ayyappa Sharaname मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया, तब शिव जी उनपर मोहित हो गए और उनका वीर्यपात हो गया। इसके प्रभाव से स्वामी अयप्पा का जन्म हुआ। इसलिए अयप्पा देव को हरिहरन भी कहा जाता है।  अयप्पा स्वामी के बारे में कुछ और बातें: अयप्पा स्वामी का मंदिर केरल के सबरीमाला में है। अयप्पा स्वामी को अयप्पन, शास्ता, और मणिकांता नाम से भी जाना जाता है। अयप्पा स्वामी को समर्पित एक परंपरा है, जिसे अयप्पा दीक्षा कहते हैं। यह 41 दिनों तक चलती है। इसमें 41 दिनों तक न चप्पल पहनते हैं और न ही नॉनवेज खाते हैं। मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह-रहकर एक ज्योति दिखती है. मंदिर आने वाले भक्त मानत

Ram Mandir - Swami Parmanand Giri Ji Maharaj

Ram Mandir Ayodhya | राम मंदिर अयोध्या 

प्रिय मित्रों आज के इस लेख में हम आपको भगवान श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या पुरि के श्री राम जन्मभूमि विवाद से जुड़े कुछ ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे जिनको देखकर आपको ये विश्वास होगा की परमपूज्य युगपुरुष स्वामी परमांनद जी महाराज (Swami Parmanand Ji Maharaj) का इस ऐतिहासिक आंदोलन में कितना बड़ा योगदान रहा।  सत्य तो ये है की हर भारत वासी और उन लाखो कार सेवको के बलिदान का परिणाम है ये राम मंदिर। (Ram Mandir) . 

राम मंदिर की धारणा 

राम मंदिर की कामना हम सभी भारत वासियो के ह्रदय में हमेशा से थी फिर चाहे हम किसी भी धर्म और सम्प्रदाय के क्यों न हो। पुरे विश्व में केवल भारत  देश है जहां भगवान् के एक मंदिर को बनने को लेकर इतना लम्बा और इतना बड़ा आंदोलन करना पड़ा और देश के संविधान का विश्वास रखते हुए समस्त कारसेवकों को एक लंबे इंतजार के बाद अब परिणाम देखने को मिल रहा है। 

सनातन धर्म ,सभी धर्मो और उनके प्रत्येक ग्रन्थ का सम्मान करता है। सनातन धर्म हमें किसी से इर्षा करना नहीं सिखाता। केवल और केवल प्रेम का आदान और प्रदान ही सभी सनातनियो की विचार डरा सदैव से रही है। प्रभु श्री राम की जन्मभूमि पर श्री राम के मंदिर की धारणा हम सभी के ह्रदय में उसी पल आ गयी थी जिस पल राम जन्म भूमि वि वास्तविकता सभी राम भक्तो के ह्रदय पटल पर अंकित हो गयी। 

Ram Mandir Andolan | राम मंदिर आंदोलन 

राम जन्मभूमि अर्थात राम मंदिर आंदोलन यू दो दशकों पुराना है पर वास्तविकता तो यह है कि राम मंदिर आंदोलन पूरे देश के पटल पर उस समय सामने आया जब सन 1949 के  दिसंबर में भगवान श्री राम की बाल रूप की मूर्तियां बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे रखी है। 

कैसे होती थी राम की पूजा 

सर्व प्रथम जब राम मंदिर का आंदोलन शुरू हुवा अर्थात 23 दिसंबर 1949 से पहले राम चबूतरे पर हुआ करती थी रामलला की पूजा। उसके बाद 6 दिसंबर 1992 से  गर्भ गृह पर यथापित किये गए एक टेंट में होती रही थी श्री राम की पूजा और अब 25 मार्च 2020 की सुबह एक अस्थायी मंदिर बनाकर श्री रामलला का पूजन विधिवत तरीको से चल रहा है। 

Swami Parmanand Ji Maharaj 

राम मंदिर के शिलान्यास से ठीक पहले स्वामी परमानंद गिरी महाराज ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन स्वामी वामदेव के द्वारा ही प्रारंभ हुआ था। धर्म रक्षा संघ की महत्वत्ता को सहते हुवे महाराज श्री ने कहा की आज जब राम मंदिर बनने का समय आया है तो धर्म रक्षा संघ के द्वारा रजत शिला राम मंदिर की नींव में स्थापित करने के लिए यहीं पूजित हो रही है और यही से राम जन्मभूमि के लिए प्रस्थान करेगी। 
स्वामी परमानन्द जी महाराज राम मंदिर आंदोलन के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहे जिस प्रकार प्राणी स्वास के साथ जुड़ा रहता है।  स्वामी जी ने अनेको बार कहा है की इस आंदोलन के प्रमुख विहिप, संघ , कार सेवक , और भारत देश का प्रत्येक नागरिक अपनी आत्म चेतना के साथ जुड़ा हुवा था और हमेशा जुड़ा रहेगा।  
लाखो लोगो के बलिदान ने अपना वास्तविक रंग दिखा दिया और आदरणिय श्री नरेंद्र भाई मोदी जी ( भारत के वर्तमान प्रधानमन्त्री ) के अथक प्रयासों और देश वाशियो के प्रति उनकी पूर्ण निष्ठां ने राम मंदिर का शिलान्यास व् भूमि पूजन करवाया। 

राम जन्मभूमि तीर्थछेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी 

1. के पाराशरण: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला का पक्ष रखा। 

२. युगपुरुष परमानंद जी महाराज: अखंड परमधाम आश्रम हरिद्वार के प्रमुख संत । स्वामी जी के वेदांत वचनो पर 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। परमान्द जी महाराज को सन 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। 

स्वामी परमानन्द जी और पूज्या साध्वी ऋतंबरा जी ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इस आंदोलन के प्राण रक्षक बने रहे। 

३. श्री कामेश्वर चौपाल, पटना (एससी सदस्य): संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है। उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के कारण उन्हें यह मौका दिया गया।

४. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वतीजी महाराज (प्रयागराज): बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य।

५. जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज: ये कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं।

६. स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज: महाराष्ट्र के महान संत के रूप में लोग इन्हें जानते है। इन्होने रामायण, महाभारत , भगवतगीता ,इत्यादि सनातन धर्म के ग्रंथो का देश-विदेश में खूब प्रचार-प्रसार किया। उनके अभूतपूर्व योगदान के कारण उनको ट्रस्ट में शामिल किया गए है। 

७. विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा: अयोध्या राजपरिवार के वंशज। 

८. डॉ. अनिल मिश्र, होम्पयोपैथिक डॉक्टर: मूलरूप से अंबेडकरनगर निवासी।इन्होने   1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

९. महंत दिनेंद्र दास: अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख। ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा।

१०. राम जन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा नामित एक ट्रस्टी जो हिंदू धर्म का होगा

११. बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित एक ट्रस्टी, जो हिंदू धर्म का हो।

१२. केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा। यह व्यक्ति भारत सरकार के सचिव के पद से ऊपर के पद पर होना चाहिए और एक पदेन सदस्य भी होना चाहिए। 

१३. इस व्यक्ति के विषय में कहा गया है कि यह व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा नामित एक आईएएस अधिकारी होगा जो कि राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे के पद पर  नहीं होगा अर्थात सचिव के पद से ऊंचा पद उसको प्राप्त होना चाहिए और यह पदेन अधिकारी भी होना चाहिए।

१४. राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा। उनका हिंदू होना जरूरी है।

१५. अयोध्या जिले के कलेक्टर पदेन ट्रस्टी होंगे। वे हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे। अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे।

समीक्षा 

अब राम जन्भूमि का भूमि पूजा भारत के आदरणीय प्रदानमंत्री जी श्री नरेंद्र भाई मोदी जी द्वारा संपन्न हो चूका है।  मंदिर अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर हो चूका है। हम सभी को राम नाम का जाप करते हुवे राम की महिमा को  स्वीकारते हुवे राम मंदिर का परचम पुरे विश्व में लहराना है। 

श्री राम जय राम जय जय राम , श्री राम जय राम जय जय राम 


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