Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2021

सनातन धर्म में कुल कितने पुराण हैं?

सनातन धर्म के अनगिनत पुराणों का अनावरण पुराणों में समाहित गहन रहस्यों को उजागर करने की यात्रा पर निकलते हुए सनातन धर्म के समृद्ध ताने-बाने में आज हम सभी गोता लगाएंगे। प्राचीन ग्रंथों की इस खोज में, हम कालातीत ज्ञान और जटिल आख्यानों को खोजेंगे जो हिंदू पौराणिक कथाओं का सार हैं। पुराण ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करते हैं, जो सृष्टि, नैतिकता और ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाली ब्रह्मांडीय व्यवस्था के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। प्रत्येक पुराण किंवदंतियों, वंशावली और दार्शनिक शिक्षाओं का खजाना है जो लाखों लोगों की आध्यात्मिक मान्यताओं को आकार देना जारी रखते हैं। आइए हम कहानियों और प्रतीकात्मकता की भूलभुलैया से गुज़रते हुवे रूपक और रूपक की परतों को हटाकर उन अंतर्निहित सत्यों को उजागर करने का प्रयास करें जो सहस्राब्दियों से कायम हैं। हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम इन पवित्र ग्रंथों के पन्नों में मौजूद देवताओं, राक्षसों और नायकों के जटिल जाल को उजागर करने का प्रयास कर रहे हैं, जो मानव अस्तित्व का मार्गदर्शन करने वाले शाश्वत सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं। हिंदू धर्म में पुराणों का म...

Vishnu Apamarjana stotram | रोग मुक्ति अपामार्जन स्तोत्र

विष्णु स्तोत्र पाठ |  पद्म पुराण अपामार्जन स्तोत्र महिमा  संसार के समस्त रोगो का नाश करने में सक्षम दिव्या मंत्र जिसका उल्लेख पौराणिक धर्म ग्रंथो में मिलता है। अपामार्जन स्तोत्र भगवान् विष्णु का स्तोत्र है जिसका प्रयोग विषरोगादि के निवारण के लिए किया जाता है। इस स्तोत्र के नित्य गायन या पाठन से सभी प्रकार के रोग शरीर से दूर रहते हैं, तथा इसका प्रयोग रोगी व्यक्ति के मार्जन द्वारा रोग निराकरण में किया जाता है। भगवान नारायण स्वरूप अपामार्जन स्तोत्र को शक्ति स्वयं नारायण से प्राप्त होती है। अतः पौराणिक धर्म शास्त्रों में अपामार्जन स्तोत्र का उल्लेख दो बार प्राप्त होता है: प्रथम विष्णुधर्मोत्तरपुराण में तथा द्वितीय पद्म पुराण में ६वें स्कन्द का ७९वाँ अध्याय। जहाँ विष्णुधर्मोत्तरपुराण में पुलत्स्य मुनि ने दाल्भ्य के लिए कहा है वहीं पद्मपुराण में इसे भगवान् शिव ने माता पार्वती को सुनाया है। विष्णुधर्मोत्तरपुराण द्वारा प्रमाणित अपामार्जना स्तोत्र श्रीमान्वेंकटनाथार्यः कवितार्किककेसरी। वेदान्ताचार्यवर्यो मे सन्निधत्तां सदाहृदि॥ शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भजम्। प्रस...

Bhagwan Satyanarayan Katha in Hindi | श्री सत्यनारायण की पौराणिक कथा

Shree Satyanarayan Ki Durlabh Vrat Katha भक्तजनो आज गुरुवार है, आज हम आपको सत्य के साक्षात स्वरुप भगवान सत्यनारायण की कथा बतायेंगे। भगवान  सत्यनारायण व्रत की सम्पूर्ण कथा पांच अध्यायों में है। हम अपने पाठकों के लिए पाँचों अध्याय प्रस्तुत कर रहे है। सत्यनारायण व्रत कथा का पहला अध्याय :  श्रीव्यास जी ने कहा – एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनक आदि सभी ऋषियों तथा मुनियों ने पुराणशास्त्र के वेत्ता श्रीसूत जी महाराज से पूछा – हे भगवान ऐसा कौन सा व्रत और तप है जिसको करने मात्र से समस्त मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। हम सभी लालसा पूर्वक उस व्रत और तप को सुनना चाहते हैं। कृपया कर आप सविस्तार बताने की कृपा करें।  श्री सूतजी बोले – इसी प्रकार देवर्षि नारदजी के द्वारा भी पूछे जाने पर भगवान कमलापति ने उनसे जैसा कहा था, मैं आप सभी के समक्ष उसे कह रहा हूं, आप लोग सावधान होकर सुनें।  एक समय योगी नारदजी लोगों के कल्याण की कामना से विविध लोकों में भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में आये और यहां उन्होंने अपने कर्मफल के अनुसार नाना योनियों में उत्पन्न सभी प्राणियों को अनेक प्रकार के क्लेश ...