शबरी के राम - Swami Parmanand Ji Maharajएकटक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद बुजुर्ग भीलनी के मुह से बोल फूटे- कहो राम! सबरी की डीह ढूंढने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ? राम मुस्कुराए- यहां तो आना ही था अम्मा, कष्ट का क्या मूल्य... "जानते हो राम! तुम्हारी प्रतीक्षा तब से कर रही हूँ जब तुम जन्में भी नहीं थे। यह भी नहीं जानती थी कि तुम कौन हो? कैसे दिखते हो? क्यों आओगे मेरे पास..? बस इतना ज्ञात था कि कोई पुरुषोत्तम आएगा जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा..." राम न…
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